क्या आपने कभी सोचा है कि एक रात में आपकी जिंदगी कैसे बदल सकती है? उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले विवेक मौर्या की कहानी कुछ ऐसी ही है। पहली बार माय11 सर्कल पर दो टीमें बनाकर उन्होंने न सिर्फ 3 करोड़ रुपये जीते, बल्कि एक चमचमाती थार भी अपने नाम की। यह कहानी केवल भाग्य की नहीं, बल्कि हिम्मत और सही समय पर सही फैसले की है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि विवेक ने यह कमाल कैसे किया, उनकी रणनीति क्या थी, और उनके परिवार का इस जीत पर क्या रिएक्शन था।
माय11 सर्कल पर पहली बार में ही जैकपॉट
विवेक ने कैसे शुरू की अपनी यात्रा?
विवेक मौर्या, जो पहले कभी फंतासी गेम्स में हिस्सा नहीं लेते थे, को उनके एक दोस्त ने माय 11 सर्कल पर इनवाइट किया। उन्होंने 2 अप्रैल को गुजरात टाइटंस और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच हुए मैच के लिए अपनी पहली आईडी बनाई। बिना किसी पूर्व अनुभव के, विवेक ने दो टीमें बनाईं:
- पहली टीम: 1 रुपये की एंट्री फीस
- दूसरी टीम: 49 रुपये की एंट्री फीस
हैरानी की बात यह है कि 49 रुपये वाली टीम ने पहला रैंक हासिल किया और विवेक को 3 करोड़ रुपये के साथ एक थार की जीत दिलाई।
क्या थी विवेक की रणनीति?
विवेक ने अपनी जीत को पूरी तरह से अपनी समझ और किस्मत का नतीजा बताया। उन्होंने निम्नलिखित बातें साझा कीं:
- कोई प्रेडिक्शन नहीं: विवेक ने किसी भी टेलीग्राम चैनल या प्रीमियम प्रेडिक्शन सर्विस का सहारा नहीं लिया।
- स्वतंत्र निर्णय: उन्होंने अपनी समझ से खिलाड़ियों का चयन किया और टीम बनाई।
- दो टीमें: एक सोची-समझी रणनीति वाली टीम थी, जो हार गई, जबकि दूसरी अनुमान पर आधारित थी, जो जीत गई।
थार और 3 करोड़ : जीत का जश्न
थार की कहानी : विवेक ने थार को सीधे कंपनी से लेने के बजाय उसका भुगतान (11.5 लाख रुपये, 30% जीएसटी कटौती के बाद) लिया और शोरूम से 16 लाख रुपये में नई थार खरीदी। उनके पिता, कृष्णदेव मौर्या, ने इसे एक समझदारी भरा फैसला बताया, क्योंकि इससे उन्हें अपनी पसंद की गाड़ी मिली।
पैसे का निकासी प्रक्रिया : विवेक और उनके परिवार को इतनी बड़ी राशि की निकासी को लेकर डर था। इसलिए, उन्होंने 25-25 लाख रुपये की चार किस्तों में पैसे निकाले, जो चार दिनों में उनके खाते में आ गए। यह सावधानी उनकी समझदारी को दर्शाती है।
परिवार का रिएक्शन : खुशी के साथ चिंता
पिता की नाराजगी : विवेक के पिता, कृष्णदेव मौर्या, जो एक आइसक्रीम व्यवसायी हैं, शुरुआत में अपने बेटे के इस कदम से नाराज थे। उन्होंने इसे जुआ करार दिया और कहा कि अगर बार-बार ऐसा किया गया तो नुकसान हो सकता है। हालांकि, जब जीत की खबर मिली, तो परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।
डर और सावधानी : जीत की खबर के बाद परिवार को डर था कि इतनी बड़ी राशि की जानकारी लीक होने से विवेक की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसलिए, वे तुरंत उसे कानपुर से वापस बहराइच ले आए।
फंतासी गेम्स : फायदे और जोखिम
फंतासी गेम्स के फायदे
- कम निवेश, बड़ा रिटर्न : केवल 1 रुपये या 49 रुपये की एंट्री फीस से लाखों-करोड़ों जीतने का मौका।
- मनोरंजन और उत्साह : क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह एक मजेदार अनुभव है।
- कौशल का उपयोग : सही खिलाड़ियों का चयन और रणनीति से जीत की संभावना बढ़ती है।
जोखिम और सावधानियां
- आर्थिक नुकसान: बार-बार हारने से पैसों का नुकसान हो सकता है।
- फ्रॉड का खतरा: टेलीग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी प्रेडिक्शन सर्विसेज से सावधान रहें।
- कानूनी जटिलताएं: सुनिश्चित करें कि आप जिस प्लेटफॉर्म पर खेल रहे हैं, वह वैध हो।
विवेक की सलाह : क्या आपको फंतासी गेम्स खेलना चाहिए?
विवेक और उनके पिता दोनों ने साफ तौर पर कहा कि फंतासी गेम्स में हिस्सा लेना जोखिम भरा हो सकता है। उनकी सलाह है:
- अपनी आय के हिसाब से ही निवेश करें।
- एक या दो टीमें बनाकर खेलें, लेकिन इसे आदत न बनाएं।
- फर्जी प्रेडिक्शन सर्विसेज से बचें।
भविष्य की योजनाएं : पैसों का सही उपयोग
विवेक के पिता ने बताया कि इस जीत का उपयोग सबसे पहले बच्चों की शिक्षा के लिए किया जाएगा। इसके बाद, वे अपने व्यवसाय को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। उनकी यह सोच दर्शाती है कि बड़ी जीत के बाद भी समझदारी से फैसले लेना जरूरी है।
निष्कर्ष : विवेक मौर्या की कहानी प्रेरणादायक है, लेकिन यह हमें यह भी सिखाती है कि फंतासी गेम्स में भाग्य के साथ-साथ सावधानी भी जरूरी है। अगर आप भी ड्रीम 11 या माय 11 सर्कल जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं, तो अपनी सीमाओं को समझें और फर्जी सर्विसेज से बचें।
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